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वाड्रफनगर बीईओ का अजब कारनामा… संविलियन होने वाले शिक्षकों का बढ़ने के बजाय घट गया वेतन…. 39 हजार की जगह मिला व्याख्याताओं को 14 हजार का वेतन…. DPI ने लिया मामले पर संज्ञान…ज्वाइंट डायरेक्टर को …..

वाड्रफनगर बीईओ का अजब कारनामा… संविलियन होने वाले शिक्षकों का बढ़ने के बजाय घट गया वेतन…. 39 हजार की जगह मिला व्याख्याताओं को 14 हजार का वेतन…. DPI ने लिया मामले पर संज्ञान…ज्वाइंट डायरेक्टर को …..
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By NPG News

रायपुर 31 दिसंबर 2020। राज्य सरकार ने एक बेहतर सोच के साथ प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को संविलियन की सौगात दी है ताकि उन्हें भी शिक्षकों के समान वेतनमान और सुविधाएं मिल सके लेकिन कुछ अधिकारियों को यह रास नहीं आ रहा है यही वजह है कि अलग-अलग तरीके से शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है कहीं पर जानबूझकर अभी तक उनका एम्पलाई कोड जनरेट नहीं किया गया है तो कहीं पर प्रान शिफ्टिंग के लिए फॉर्म नहीं भेजा गया है।

अब जो ताजा मामला निकल कर सामने आया है वह तो अत्यंत हैरान कर देने वाला है, क्योंकि यहां संविलियन के बाद व्याख्याताओं को पंचायत विभाग का वेतन दे दिया गया है। इसे लेकर जब संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे ने संबंधित शाखा प्रभारी से बात की तो उनका कहना है कि हमने सही वेतन भुगतान किया है और बीईओ सर का भी स्पष्ट निर्देश है कि यही वेतन भुगतान करना है। इसके बाद पूरे तथ्यों के साथ संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे ने इस पूरे मामले की शिकायत लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक जितेंद्र शुक्ला से की है दोषी अधिकारी कर्मचारी पर कार्रवाई की मांग की है।

पूरा मामला यह है कि वाड्रफनगर के अंतर्गत आने वाले तीन व्याख्याताओं बृजेश कुमार पैकरा , शशिकला ध्रुव और मनेश्वरी को वेतन भुगतान करते समय वाड्रफनगर बीईओ कार्यालय के लिपिक घनश्याम नायक ने उनका वेतनमान 38100 के बेसिक को न मानकर पंचायत विभाग के 5300 को मानकर बनाया जिसकी जानकारी मिलते ही शिक्षकों ने इसका विरोध किया और अपने प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे को भी इस से अवगत कराया। उन्होंने भी घनश्याम नायक से बात करके उन्हें यह स्पष्ट किया कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को भी न्यूनतम वेतनमान से कम नहीं दिया जा सकता यदि उससे कम वेतन दिया जाता है तो फिर संविलियन का अर्थ ही क्या रह जाएगा।

केवल उनकी वेतन वृद्धि जो इंक्रीमेंट के तौर पर प्रशिक्षित होने के बाद मिलती है वही भविष्य में रुकेगी, न्यूनतम वेतनमान जो एक व्याख्याता का होता है वह प्रदान करना ही है। उन्होंने यह भी कहा कि आप इस संबंध में उच्च कार्यालय से मार्गदर्शन ले ले घनश्याम नायक ने पहले दिन इसके लिए हामी भरी और दूसरे दिन जानकारी लेने पर कहा कि हमारे बीईओ सर ने यही वेतन भुगतान करने के लिए निर्देशित किया है इसलिए हमने ऐसा वेतन बनाया है । इधर जिन शिक्षकों को पहले पंचायत में रहते हुए 16 हजार से अधिक का वेतन मिलता था उन्हें इस बार 14500 के आसपास वेतन मिला है जिससे वह यह सोचने को विवश हो गए हैं कि संविलियन से उन्हें लाभ हुआ है कि हानि।

इधर इस पूरे मामले की लिखित शिकायत संविलियन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे ने लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक जितेंद्र शुक्ला से की है और इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कड़ी कार्रवाई करने की मांग रखी है क्योंकि निचले कार्यालय के अधिकारियों ने इस मामले में मार्गदर्शन लेना तक उचित नहीं समझा और उनकी गलती की वजह से संविलियन पाने वाले शिक्षक आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं ।

शिकायत पर DPI जितेंद्र शुक्ला ने लिया संज्ञान

संविलियन अधिकार मंच की शिकायत पर DPI जितेंद्र शुक्ला ने तत्काल संज्ञान लिया है। उन्होंने इस मामले में सरगुजा के ज्वाइंट डायरेक्टर को निर्देशित किया है कि वास्तविक गणना कर शिक्षक का वेतन निर्गत किया जाये। इस मामले में NPG ने ज्वाइंट डायरेक्टर से भी बात की। उन्होंने भी कहा कि इस मामले में डीपीआई से निर्देश मिला है, इस मामले का जल्द ही समाधान कर दिया जायेगा

विवेक दुबे ने कहा कि

“मैंने पूरे मामले की लिखित शिकायत डीपीआई से की है और शिक्षकों को न्याय दिलाने की अपील की है शिक्षकों को संविलियन के बाद अधिक वेतन मिलना चाहिए तो यहां कार्यालय की लापरवाही के चलते कम वेतन मिलने लगा है, सबसे बड़ी बात यह है कि इतने गंभीर मामले में भी बीईओ ने इस संबंध में मार्गदर्शन लेना तक उचित नहीं समझा और अपने हिसाब से आदेश की व्याख्या करके वेतन भुगतान किया है हमने भी जब इस मामले में हस्तक्षेप किया तो कार्यालय प्रभारी का कहना है कि बीईओ के आदेश पर उन्होंने वेतन भुगतान किया है और वह अपने बात पर अडिग है । हम प्रशासन और शासन दोनों से ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हैं जो शासन प्रशासन दोनों की छवि जानबूझकर खराब करते हैं और शिक्षकों को बेवजह परेशान करते हैं”

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