सरल सहज विष्णु पार करा लेंगे वैतरणी ? अंतिम कार्यकर्ता तक में जगा पाएँगे भरोसा ..! सवाल हैं पर फिलहाल जवाब नहीं ..
रायपुर,2जून 2020। आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय की ताजपोशी हो गई है। पंद्रह बरस तक सत्तानशी भाजपा सबसे कमतर आंकडे के साथ विधानसभा में मौजुद है, और डेढ़ बरसों में भाजपा के खाते एक आंदोलन ऐसा नहीं है जो कि ज़ेहन में मौजुद हो। हालाँकि बीते तीन महिने से अधिक का समय कोविड का है, पर इसके इतर सोलह महिने नील बटे सन्नाटा है।ऐसे में तमाम अगर मगर किंतु परंतु के बाद 6 ए दीनदयाल मार्ग याने भाजपा केंद्रीय कार्यालय ने जिस नाम पर मुहर लगाई उस मुहर ने रायपुर के मौलश्री विहार के उस बंगले की ताक़त को ही मज़बूत किया है, जिसे डॉ रमन सिंह के बंगले के रुप में जाना जाता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की पसंद माने जाते हैं।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु देव साय सरल सहज व्यक्तित्व के हैं, और वे छत्तीसगढ़ भाजपा के तब भी अध्यक्ष रह चुके हैं जबकि भाजपा सत्ता में थी। लेकिन आज स्थितियाँ बिल्कुल उलट हैं, भाजपा सत्ता से बाहर है और लोकसभा में मोदी के तूफ़ान की वजह से जीत को यदि रिकॉर्ड से बाहर कर दें तो बताने के लिए कोई ऐसा ग्राफ़ नहीं है जिस पर ख़ुश हुआ जा सके। कैडर वाइस पार्टी याने वहाँ जहां कार्यकर्ता को देव तुल्य कहा जाता हो, वहाँ प्रदेश भाजपा को लेकर कोई उत्साह नहीं है।
भाजपा की विधानसभा में जो गति प्राप्त हुई उसके लिए पार्टी को नीजि संगठन समझ कर हांकने की हरकत अहम रही है।प्रदेश में रामचंद्रपुर से लेकर कोंटा तक कार्यकर्ताओं की एक बड़ी संख्या ऐसा है जिसे उपेक्षा का दंश भुलाए नहीं भुला है। कार्यकर्ताओं के निशाने पर संगठन के वे क़द्दावर चेहरे पर भी हैं, जिनका स्थाई पता और हाल मुक़ाम दोनों दिल्ली है। संगठन प्रभारी डॉ अनिल जैन का ऐसा कोई दौरा याद नहीं आता है जबकि डॉ अनिल जैन किसी अपरिचित से कार्यकर्ता के घर पहुँचे हों, एक पीसी में सवाल पर बिदक कर पत्रकार के कांग्रेसी होने की टिप्पणी करने जैसे मसले उनके खाते में जरुर दर्ज हैं।जिस नाम पर सबसे ज़्यादा नाराजगी है वो नाम सौदान सिंह है, जिन्हें लेकर निंदा आलोचना के शब्द कई बार मर्यादा खोते से साफ दिखते हैं।
पंद्रह साल की सत्ता के बाद पंद्रह सीटों पर जा टिका भाजपा को लेकर सत्ता में मौजुद कांग्रेस क़तई चिंतित नहीं दिखती और ज़ाहिर है संख्या बल में इतना अंतर है कि चिंता की सोच ही मृग मरीचिका है।
भाजपा अब तक सम्हली नहीं है, कार्यकर्ता मौन से बाहर नहीं निकला है। और बिला शक वर्चस्व की लड़ाई जारी है। प्रदेश भाजपा टीम से जुड़े और संघ की पृष्ठभूमि से आते एक कार्यकर्ता इन मसलों पर चर्चा के दौरान यह कहना नही भुलते –
“कार्यकर्ताओं की इस पार्टी के प्रदेश कार्यालय में अहम ज़िम्मेदारी तो वेतनभोगियों के हवाले हैं.. तनखैयों के भरोसे चलाएँगे और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होगा तो और बाक़ी की बात क्या कहें”
सामने विशाल हिमालय जैसा बहुमत लिए कांग्रेस है जिसका नेतृत्व आक्रामक है और बहुत सफलता से यह साबित करते चले आ रहा है कि वायदों को निभाने में वो संकल्पित है।
ऐसे में क्या विष्णुदेव साय के रुप में छत्तीसगढ़ भाजपा को एक ऐसा नेता मिलेगा जो कार्यकर्ताओं का मानस भी शिखर पर ले जाए, उनमें जोश भर दे.. फिर से लड़ाई लड़ने के लिए तैयार कर दे..गुटों में बंटे क्षत्रपों को अनुशासन का डंडा दिखाकर क़ायदे में ला सके..सड़क पर उतर कर आंदोलन करने से लेकर हर मौक़े को मुद्दे में बदल दे..।
इन सबका जवाब भविष्य के गर्भ में है और इस तथ्य के साथ है कि विष्णुदेव साय के सुदीर्घ राजनैतिक जीवन में सरलता सहजता तो है लेकिन वो शैली नहीं है जिसकी सख़्त जरुरत आज छत्तीसगढ़ की भाजपा को है।
इस खबरनवीस से बात करते हुए सरल सहज विष्णु देव साय ने दावा किया है कि कार्यकर्ताओं के मानस को उर्जावान करेंगे..टीम वर्क से काम करेंगे..सड़क पर लड़ेगें.. लेकिन कैसे सब कुछ होगा .. इसका क्या रोड मैप है यह जवाब अनुत्तरित ही रहा।