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कौन हैं IAS राजेंद्र भट्ट…कोरोना से जंग में इनके जिले की पूरे देश में हो रही खूब चर्चा… कोविड-19 से निपटने में माने जा रहे हैं सफल…. पढ़ें पूरी खबर

कौन हैं IAS राजेंद्र भट्ट…कोरोना से जंग में इनके जिले की पूरे देश में हो रही खूब चर्चा… कोविड-19 से निपटने में माने जा रहे हैं सफल…. पढ़ें पूरी खबर
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By NPG News

नईदिल्ली 10 अप्रैल 2020। कोरोना वायरस का कहर पूरे देश में फैला हुआ है। वहीं, राजस्थान का एक जिला भीलवाड़ा कोरोना पर कंट्रोल को लेकर चर्चा में आ गया है। यहां अपनाया गया मॉडल अब पूरे देश में लागू करने पर विचार हो रहा है। इस मॉडल को लागू कराने को लेकर जिले के डिस्ट्र‍िक मजिस्ट्रेट (DM) राजेंद्र भट्ट की भी लोग तारीफ कर रहे हैं। आइए जानें- कौन हैं IAS राजेंद्र भट्ट, कैसे उनके जिले का मॉडल बना इतना खास।जिले के 56 वर्षीय कलेक्टर (डीएम) जो पूरी योजना को लागू करने के इंचार्ज हैं, उन्हें इस पूरी जीत का श्रेय दिया जा रहा है.

दरअसल, खतरनाक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए राजस्थान के इस जिले ने जिस योजनाबद्ध तरीके से काम किया है, इसी वजह से ‘भीलवाड़ा मॉडल’ की अब चारों ओर चर्चा हो रही है। कोरोना के खिलाफ जंग में अगर भीलवाड़ा मुस्तैदी से डटा रहा तो उसका पूरा क्रेडिट उस जिले के डीएम राजेंद्र भट्ट को जाता है।

राजस्थान के जोधपुर में जन्मे 56 साल के आईएएस अधिकारी और भीलवाड़ा के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र भट्ट की कार्ययोजना ने ही जिले में खतरनाक कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने में का काम किया। शुरू में एक समय ऐसा आया, जब भीलवाड़ा 27 संक्रमित केसों और दो मौत के बाद राजस्थान में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन गया। कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। डीएम राजेंद्र भट्ट ने कमान संभाली और अपने अंदाज से काम किया और तब जाकर प्रशासन और स्वास्थ्यकर्मियों की मुस्तैदी ने कोरोना के प्रसार को रोकने में कामयाबी हासिल की।

एक तरह से देखा जाए तो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भीलवाड़ा में न सिर्फ डीएम की सक्रियता दिखी, बल्कि शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे के बीच एक टीम वर्क देखने को मिला। कुल मिलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में जो टीम भावना दिखी, उसी का नतीजा है कि आज पूरे देश में इस मॉडल को लागू करने की बात हो रही है।

भीलवाड़ा में बढ़ते मामले को देखते हुए जांच की गति बढ़ा दी गई, सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाने लगा और घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जाने लगी। जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया, हर किसी की आवाजाही को रोक दिया गया और फिर सरकार द्वारा गठित रैपिड रिस्पॉन्स टीम का जिला प्रशासन ने सही से इस्तेमाल किया। लोगों में कोरोना के लक्षण मिलते ही, उन्हें क्लारंटाइन किया गया, उन पर कड़ी निगरानी रखी गई।

बता दें कि भीलवाड़ा जिले में जैसे ही कोराना संक्रमण का पहला मामला आया. वहां दो दिनों के भीतर प्रशासन ने सक्रिय होकर सख्त रवैया अपनाया और संक्रमण को कंट्रोल कर लिया। अब भीलवाड़ा मॉडल को कोविड 19 की रोकथाम का बेस्ट मॉडल बताया जा रहा है। भीलवाड़ा में बड़ी संख्या में लोगों की टेस्टिंग की गई ताकि पॉजिटिव केस आने पर मरीजों को जल्द से जल्द क्वारनटीन किया जा सके।

अन्य अधिकारियों ने कहा कि हॉस्पॉट की मैंपिंग के लिए जिले को पृथक करना, घर-घर जाकर स्क्रीनिंग करना, कॉनटेक्ट ट्रेसिंग, क्वारेंटाइन और आइशोलेसन की व्यवस्था ताकि ग्रामीण क्षेत्र में पूरी तरह से निगरानी हो सके- डीएम दफ्तर की तरफ से समय के अनुसार निर्देश मिलते रहे।

भट्ट के साथ काम करने वाले एक अन्य आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘यह तथ्य है कि उन्हें कई सालों का तज़ुर्बा है और वो राज्य व्यवस्था में इतने जमे हुए हैं कि इस बात से काफी मदद मिली.’ ‘उन्होंने निर्देश दिए और हमने उसका अनुसरन किया, बाकी सब सही तरह से चलता रहा।

कौन हैं भीलवाड़ा के डीएम राजेंद्र भट्ट
दरअसल, भीलवाड़ा डीएम राजेंद्र भट्ट 2007 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। राजेंद्र भट्ट एक पीसीएस अधिकारी रहे हैं। वह शुरू से ही आईएस अधिकारी नहीं थे, बल्कि राज्य सरकार द्वारा उन्हें 2007 में आईएएस में प्रमोट किया गया था। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राजेंद्र का मानना है कि जब तक आइसोलेशन, टेस्टिंग और क्वारंटाइनिंग की प्रक्रिया पूरी तरह नहीं हो जाती, हम कोरोना से जीत का दावा नहीं कर सकते।

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