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…जब कलेक्टर ने किया शहीद की बेटी का कन्यादान…..बेटी ने लिखा था IAS को मार्मिक पत्र- “सर, आपने ही पिता का दाहसंस्कार कराया था, मेरी खुशी के लिए आप अपने हाथ से मेरा कन्यादान कर दीजिये”

…जब कलेक्टर ने किया शहीद की बेटी का कन्यादान…..बेटी ने लिखा था IAS को मार्मिक पत्र- “सर, आपने ही पिता का दाहसंस्कार कराया था, मेरी खुशी के लिए आप अपने हाथ से मेरा कन्यादान कर दीजिये”
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By NPG News

देवरिया 2 दिसंबर 2020। कलेक्टर ने जब शहीद की बेटी का अपने हाथों से कन्यादान किया तो मंडप में बैठे लोगों की आंखें भर आयी। शहीद बेटे के मार्मिक खत पर देवरिया कलेक्टर अपनी पत्नी के साथ शहीद की बेटी की शादी में पहुंचे थे। BSF के शहीद जवान की बेटी शालिनी ने पत्र लिखकर कलेक्टर को कहा था, “आपकी हाथों ही मेरे पिता का दाहसंस्कार हुआ था, मेरी इच्छा है कि आप ही अपने हाथों से मेरा कन्यादान करें”

शहीद की बेटी की शादी में पहुंचे डीएम

बेटी की खत से मिले निमंत्रण पर कलेक्टर अमित किशोर जब अपनी पत्नी के साथ शादी में पहुंचे तो पूरा शादी समारोह ही खुशियों से चहक उठा। खुद दुल्हन को भी उम्मीद नहीं थी कि कलेक्टर वाकई में उसके लिखे पत्र पर उन्हें आशीर्वाद देने पहुंच जायेंगे। लेकिन कलेक्टर अमित किशोर ने सपरिवार नव दम्पति को ना सिर्फ आशीर्वाद दिया, बल्कि एक पिता का फर्ज भी निभाया।

गौरतलब है कि सलेमपुर के मझौली राज निवासी अजय कुमार रावत बीएसएफ में 88 बटालियन में कॉन्‍स्‍टेबल के पद पर कार्यरत थे. वह जम्मू के उधमपुर में तैनात थे. ड्यूटी के दौरान 25 अगस्त 2018 में हादसे में उनकी जान चली गई. पत्नी मीरा देवी और उनके दो बेटे अभिलाष और अश्वनी हैं, तीसरी बेटी शिवानी है जिसकी शादी मंगलवार को हुई. शिवानी ने एक पत्र के माध्यम से डीएम अमित किशोर को अपना कन्यादान करने के लिए इच्छा जताई थी जिस पर डीएम मना न कर सके और अपनी पत्नी के साथ दिवंगत जवान की बेटी को आशीर्वाद देने उसके मंडप में पहुंच गए.

इस बारे में देवरि‍या डीएम अमित किशोर ने कहा कि शिवानी रावत के पिता बीएसएफ में जवान थे. ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हुई थी. उनकी बेटी की इच्छा थी कि मैं इनकी शादी में आऊं. बड़ा भावभीन एक पत्र भी हमें लिखा था तो हमें सपरिवार आना पड़ा. जैसा कि जिलाधिकारी से अपेक्षा की गई है कि हमारे जिले में आर्मी, एयर फोर्स, पैरामिलिट्री में जितने जवान हैं या जितने अधिकारी हैं, इनके साथ कोई समस्या होती है या दिवंगत हो जाते है तो उनके परिवार का ख्याल रखना एक जिलाधिकारी के रूप में बहुत बड़ा दायित्व है. आगे भी इस तरह की आवश्यकता होगी तो मैं इसे निर्वहन करूंगा.

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