वो अक्षरा से कहती है कि हम स्मिता के लिए दूसरा वकील कर लेंगे और दिल्ली चले जाएंगे। अक्षरा साफ मना कर देती है और स्मिता की तरफ इशारा करके कहती है कि, जरा उसकी तरफ देख, वो खुलकर रो भी नहीं पा रही है। मैं वकील केस जीतने के लिए नहीं बनी, बल्कि इसलिए बनी हूं कि इन जैसे लोगों की मदद कर पाऊं, जो ये दर्द झेल रहे हैं।