अक्षरा को अचानक अहसास होता है कि अभिनव अब नहीं हैं। मनीष अक्षरा को संभालने की कोशिश करता है और कहता है कि जिदंगी में कई मोड़ आते हैं और हर मुसीबत को सहने का साहस इंसान के अंदर होना चाहिए।