सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बहुत ही खास माना जाता है.
महिलाएं वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती है.
वट सावित्री व्रत को कि बड़मावस, बरगदाही, वट अमावस्या, बरसैत जैसे कई अलग अलग नामों से जाना जाता है.
वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है. इस बार यह व्रत 26 मई को रखा जाएगा.
इस दिन व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं. क्योंकि इसे अखंड सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है.
वट वृक्ष की पूजा किए बिना यह व्रत पूरा नहीं माना जाता है लेकिन आजकल हर जगह बरगद वृक्ष नहीं मिल पाता है.
ऐसे में आप व्रत के एक दिन पहले ही कहीं से बरगद के पेड़ की टहनी मंगवा लें.
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की टहनी की पूजा करें. ऐसा करने से भी व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है.
अगर बरगद की टहनी भी न मिले तो तुलसी के पौधे के समीप बैठकर पूरे विधि-विधान से पूजन कर सकते हैं.