सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बहुत ही खास माना जाता है.
वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है.
वत सावित्री व्रत को देशभर में अलग-अलग नामों जाना जाता है जैसे कि बड़मावस, बरगदाही, वट अमावस्या.
यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है.
इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई को रखा जाएगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12:11 मिनट पर होगी. तिथि का समापन अगले दिन 27 मई को सुबह 8: 31 मिनट पर होगा.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वट सावित्री का व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए रखा था.
मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु निश्चित होने पर यमराज से उसके प्राण वापस मांग लिए थे.
तभी से महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं और अपने पति के मंगल कामना करती है.
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.