वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है।
इस बार यह व्रत 26 मई, सोमवार के दिन पड़ रहा है.
विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं.
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है बड़ के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है.
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करके उसके चारों ओर कच्चा सूत लपेटती हैं और सात परिक्रमा करती हैं.
माना जाता है वट वृक्ष में सात बार कच्चा सूत लपेटने से पति-पत्नी का संबंध सात जन्मों तक बना रहता है.
मान्यताओं के मुताबिक, बरगद के पेड़ पर कलावा बांधने से अकाल मृत्यु जैसे योग टल जाते हैं.
मान्यता है माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को यमराज ने बरगद वृक्ष के नीचे ही लौटाया था.
इसी वजह से वट सावित्री व्रत के दिन बरगद पेड़ की पूजा की जाती है और कलावा बाँधा जाता है.