वास्तु शास्त्र की माने तो हर धातु का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है और इसका सीधा असर घर के वातावरण पर पड़ता है.
लोहे का संबंध राहु और शनि ग्रह से माना जाता है, यह दोनों ग्रह शुभ और अशुभ दोनों रूपों में प्रभाव डाल सकते हैं.
यदि लोहे के बर्तनों को सही दिशा में रखा जाए तो यह शनि की कृपा दिला सकते हैं.
रसोई में लोहे के बर्तन पश्चिम दिशा में रखने चाहिए, जिससे शनि दोष कम हो सकता है, पश्चिम दिशा में शनि का वास माना जाता है.
लोहे से नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जा निकलती है, इसलिए इन्हें अनियमित रूप से रसोई में रखना वास्तु दोष को जन्म दे सकता है.
रसोई में कभी भी टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए, राहु का प्रभाव बढ़ता है, जिससे घर में अशांति और अशुभता आती है.
रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है, टूटे बर्तन रखने से उनका अपमान होता है और घर में बरकत रुक सकती है.
लोहे के बर्तनों को साफ, सही स्थिति में और निर्धारित स्थान पर ही रखें, इससे शनि के बुरे प्रभावों से राहत मिलती है और सुख-शांति बनी रहती है.
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में यह उपाय विशेष लाभकारी हो सकता है.