कुबेर यंत्र को धन के देवता कुबेर की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा जाता है. वास्तु कि माने तो यह यंत्र आर्थिक स्थिति सुधारने और धन की वृद्धि करने में सहायक होता है.
शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी के बाद कुबेर ही ऐसे देवता हैं जो धन, वैभव और ऐश्वर्य का वरदान देते हैं.
कुबेर यंत्र को मंगलवार या शनिवार के दिन अथवा दीपावली, धनतेरस जैसे शुभ अवसरों पर घर के मंदिर में पूर्व दिशा की ओर स्थापित करें.
इसे पीले कपड़े में लपेटकर किसी पवित्र बर्तन में रखें, फिर अगले दिन जल, दूध और गंगाजल से यंत्र का अभिषेक करें और मंत्रों का जाप करें.
'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:' मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें. यह मंत्र कुबेर यंत्र को सिद्ध करता है.
यंत्र को तिजोरी या मंदिर में स्थापित कर नियमित रूप से जलाभिषेक करें और उसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव बना रहे.
कुबेर यंत्र स्वर्ण, ताम्रपत्र, भोजपत्र या अष्टधातु से निर्मित होना चाहिए जिससे उसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाए.
उत्तर दिशा को वास्तु में कुबेर की दिशा माना गया है, इसलिए यंत्र को घर की उत्तर दिशा में लगाने से वास्तु दोष भी समाप्त होता है.
अगर आप कर्ज़, धन की कमी या निवेश में हानि जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो कुबेर यंत्र आपके लिए संजीवनी का काम कर सकता है.