तांबे का सूरज को वास्तु शास्त्र में यश, ऊर्जा और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना गया है.
आजकल लोग वास्तु से अनजान होकर तांबे का सूरज डेकोरेशन के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन गलत स्थान पर लगाना लाभ के बजाय हानि पहुंचा सकता है.
पश्चिम दिशा में तांबे का सूरज लगाने से घर में कलह, मानसिक तनाव, आर्थिक रुकावटें उत्पन्न होती हैं.ये दिशा शनि ग्रह से जुड़ी होती है. सूर्य और शनि की ऊर्जा विपरीत प्रभाव डालती हैं.
उत्तर दिशा को धन और करियर की दिशा माना जाता है, जिसका संबंध बुध और कुबेर से है. यहां तेज ऊर्जा वाले सूर्य प्रतीक को लगाने से धन का खर्च, रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है.
तांबे का सूरज अत्यधिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, जिसे अगर बेडरूम में लगाया जाए तो यह नींद में खलल डाल सकता है.
तांबे का सूरज लगाने के लिए दक्षिण, पूर्व दिशा सर्वोत्तम मानी जाती है, यहां लगाने से सफलता और यश की प्राप्ति होती है.
तांबे का सूरज जमीन से ज्यादा ऊंचाई पर और आंखों के स्तर से थोड़ा ऊपर लगाना चाहिए. इससे इसकी ऊर्जा पूरे स्थान पर संतुलित रूप से फैलती है.
तांबे के सूरज को सप्ताह में एक बार गंगाजल या सामान्य जल से पोंछें और सूर्य मंत्र का उच्चारण करें.