दिलजीत अकीर को तोहफे दिखाता है, अकीर देखता है अंगद का दिया हुआ तोहफा भी वहां रखा है, साहिबा दिलजीत से उस तोहफे को उसे वापस करने को कहती है दिलजीत साहिबा से कहता है कि उसे अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए, आगे कहता है कि अंगद ने बहुत प्यार से अकीर को तोहफा दिया है, उसे उसका तोहफा वापस लौटा कर उसकी बेज्जती नही कर सकते।