वैष्णव ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि पहले मीडिया में संपादकीय निगरानी होती थी, जिससे सामग्री की गुणवत्ता और सत्यता सुनिश्चित होती थी। लेकिन अब, सोशल मीडिया के अनियंत्रित मंच पर ऐसी कोई निगरानी व्यवस्था नहीं है।
इस वजह से अश्लील सामग्री और अनुचित पोस्ट तेजी से फैल रही हैं। उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया आज प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक मंच है, लेकिन यह अनियंत्रित है और इस पर अश्लील सामग्री भी देखने को मिलती है।"
मंत्री ने कहा कि मौजूदा कानूनों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी दलों और विशेषज्ञों को एकजुट होकर एक व्यापक और सख्त कानून का मसौदा तैयार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया को निरंकुश होने से रोकने के लिए इसे अधिक जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है।
वैष्णव ने संसद की स्थायी समिति को इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यह समिति इस समस्या पर गहराई से विचार कर सकती है और एक ऐसा तंत्र विकसित कर सकती है जो अश्लील सामग्री पर नियंत्रण सुनिश्चित करे।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण मंच है, जो प्रेस की स्वतंत्रता और जनता की अभिव्यक्ति का माध्यम है।
हालांकि, इसका अनियंत्रित स्वरूप इसके सकारात्मक प्रभाव को कमजोर कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे नियमों की आवश्यकता है।
जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जिम्मेदार बनाए और अश्लील सामग्री के प्रसार को रोकें, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी संरक्षित रखें।
संसद में प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच उठाया गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अरुण गोविल ने सोशल मीडिया पर अनुचित सामग्री को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की।
मंत्री वैष्णव ने उनके प्रश्न के जवाब में कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और जल्द ही कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है।
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