छठ महापर्व सबसे कठिन व्रत माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं छठ पूजा वर्तमान में नहीं, बल्कि युगों से होती हुई चली आ रही है.
छठ पर्व के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत रामायण काल में हुई थी. जी हाँ सबसे पहले माता सीता ने छठ व्रत किया था.
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सीता ने बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर छह दिनों तक रहकर छठ पूजन किया था.
लोक मान्यताओं के अनुसार 14 वर्ष के वनवास के बाद श्री राम जब रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे. भगवान राम को रावण वध का पाप लगा था.
रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों ने भगवान राम और माता सीता को अपने आश्रम में बुलाया.
आश्रम में मुग्दल ऋषि ने भगवान राम और माता सीता को सूर्य की आराधना और व्रत करने की सलाह दी.
जिसके बाद माता सीता ने मुंगेर में छह दिनों तक छठ पूजा की थी. उन्होंने सूर्य को पश्चिम दिशा की ओर और उदीयमान सूर्य को पूरब दिशा की ओर अर्घ्य दिया.
आज भी माता सीता के चरण चिन्ह मुंगेर के बबुआ गंगा घाट के पश्चिमी तट पर मौजूद है. साथ ही शिलापट्ट पर सूप, डाला और लोटा के निशान हैं.