औरंगज़ेब के बाद अब सोलहवीं सदी के राजपूत राजा राणा सांगा को लेकर विवाद शुरू हो गया है.
समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने राजपूत राजा राणा सांगा को गद्दार का है. जिसके बाद से अब विरोध शुरू हो गया. तो चलिए जानते हैं राणा सांगा कौन है.
राणा सांगा के बिना मेवाड़ का उल्लेख अधूरा है. मेवाड़ के एक शक्तिशाली और प्रसिद्ध राजा थे, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में शासन किया था.
राणा सांगा का जन्म वर्ष 12 अप्रैल 1482 को मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ में हुआ था. उनका पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था, वह राणा रायमल के पुत्र थे और मेवाड़ के राजवंश के सदस्य थे.
राणा सांगा की सेना में 80 हजार घोड़े, 500 हाथी और करीब दो लाख पैदल सैनिक थे.
उन्होंने सौ लड़ाई लड़ी थी. जिसमे से एक को छोड़कर सभी लड़ाई जीती थी दुश्मन उनके नाम से ही कांपते थे. राणा सांगा किसी युद्ध में जीत हासिल करते थे, तो वह सबूत के तौर पर शत्रु के तंबू उखाड़कर अपने साथ लाते थे.
राणा सांगा का सबसे प्रसिद्ध संघर्ष बाबर के खिलाफ था. जिसमे बाबर की बुरी हार हुई. इब्राहिम लोदी को हराया. दिल्ली मालवा, गुजरात के सुल्तानों के साथ18 युद्ध लड़े.
राणा सांगा ने इदर राज्य के निज़ाम खान की सेना, मालवा के शासक महमूद खिलजी द्वितीय, मांडू के सुल्तान को हराया.
16 मार्च, 1527 को राणा सांगा और बाबर की सेनाओं का फिर से आमना-सामना हुआ था. जिसमे बाबर तोप और बंदूकों जबकि राजपूत तलवारों से युद्ध लड़े.
इस युद्ध में राणा सांगा को 80 घाव लगे थे एक हाथ, एक पैर और एक आंख गंवाने के बाद भी युद्ध जारी रखा. लेकिन राणा सांगा ने हिम्मत नहीं हारी.
बाबर ने युद्ध का बदला लेने के लिए विरोधी सरदारों से 30 जनवरी, 1528 को महाराणा सांगा को जहर देकर मार दिया गया था.
मुगल शासक बाबर भी राणा सांगा की तारीफ करते नहीं थकता था. बाबर ने भी अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में राणा सांगा की बहादुरी का जिक्र किया है.