परेश रावल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि घुटने की गंभीर चोट से उबरने के लिए अपना पेशाब पीया था.
उन्होंने लगातार 15 दिनों तक सुबह पेशाब पीया था और काफी समय में वो ठीक हो गए जिसे देख डॉक्टर भी हैरान थे.
परेश रावल से पहले देश के छठवें प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई रोज ने बताया था कि वो अपने मूत्र (यूरिन) का सेवन किया करते थे.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने भी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कहने पर शिवाम्बू थेरेपी शुरू की थी जिसमें लोग अपने ही पेशाब पीते हैं. इसका जिक्र उन्हींअ अपनी आत्मकथा ‘अपनी शर्तों पर’ में किया है.
लेकिन क्या यह सच में अपना पेशाब पीना फ़ायदेमंद होता है. क्या वह सचमुच यूरिन दवा की तरह काम करता है तो चलिए जानते हैं.
डॉक्टरों का कहना है साइंस के पास कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है, जो कहता हो कि खुद का यूरिन पीने से कोई बीमारी ठीक हो सकती है.
पेशाब में 95% पानी होता है. बाकी 5% में दूसरे वेस्ट मैटेरियल होते हैं. जिसकी शरीर को जरूर नहीं है इसे किडनी निकालती है. अगर अपना ही यूरिन पी लिया जाए तो ये वेस्ट मैटेरियल दोबारा शरीर में चले जाएंग.
'द लिवर डॉक' नाम से मशहूर डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स ने भी इसे गलत बताया है. मूत्र पीने से कोई फायदा नहीं होता.
पेशाब पीने से बैक्टीरिया, विषाक्त पदार्थ और अन्य हानिकारक पदार्थ रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं.
पेशाब का सेवन हानिकारक हो सकता है इससे संक्रमण, पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती है इसका असर किडनी ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ सकता है.