पीरियड्स को टालने वाली हार्मोनल दवाएं हार्मोनल साइकल को प्रभावित करती हैं। ये हार्मोनल इंबैलेंस का कारण भी बनती हैं।

ये दवाएं पेट के गुड बैक्टीरिया को मार देती हैं जिसका दुष्प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों हार्ट, लिवर, किडनी आदि पड़ता है।
इन दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों, चेहरे और हाथ-पैरों में सूजन आ सकती है।
ये दवाएं मुहांसे, रैशेज़, स्किन एलर्जी, माइग्रेन, सांस लेने में तकलीफ़, चक्कर आना जैसी समस्याएं का कारण बन सकती हैं।
इनका बुरा असर फर्टिलिटी पर पड़ता है और आप आगे चलकर बांझपन का शिकार हो सकती हैं।
ये दवाइयां हैवी ब्लीडिंग का कारण बन सकती है।
पीरियड्स को टालने वाली दवाइयां आगे चलकर ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर का कारण भी बन सकती हैं।
इन दवाओं से बच्चेदानी में गांठ, फाइब्राॅइड जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन दवाओं का बार-बार इस्तेमाल करने वाली लड़कियों और महिलाओं में मोटापा और वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।