हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. निर्जला एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी है. इस दिन व्रत रखने से अन्य एकादशी के बराबर फल की प्राप्त होता है.
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि भीमसेन ने इस व्रत को सबसे पहले रखा था. भीम ने इस व्रत के नियमों का पालन किया और पापमुक्त हो गए थे.
निर्जला एकादशी व्रत में अन्न, फल, पानी कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है. इस व्रत को रखना बहुत कठिन माना जाता है.
पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है.
इस बार 6 जून को गृहस्थ लोग और 7 जून को वैष्णव संप्रदाय के लोग निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे.
वैसे तो निर्जला एकादशी का व्रत 24 घंटे के लिए किया जाता है लेकिन इस बार यह 24 घंटे से अधिक होगा.
इस साल एकादशी की तिथि करीब 24 घंटे तक बनी रहेगी और दोनों ही दिन उदयातिथि का संयोग बन रहा है.
जिस वजह से व्रत का पारण दोपहर में किया जाएगा. यह व्रत 32 घंटे 21 मिनट तक रहेगा.
व्रत पारण का समय 7 जून 2025 को दोपहर 1:44 बजे से शाम 4:31 बजे के बीच रहने वाला है.