माता के हाथ में सजा त्रिशूल तीन गुणों - सत्व, रजस और तमस का प्रतिनिधित्व करता है। यह नकारात्मकता को नष्ट करने का प्रतीक चिह्न है। त्रिशूल से माता दुर्गा पापियों का तो नाश करती ही हैं साथ ही, भक्तों के समस्त दुःख, पाप और अवगुणों को भी दूर करती हैं। माना जाता है कि, भगवान शिव ने माता को त्रिशुल दिया था।

हाथ में सजा त्रिशूल तीन गुणों - सत्व, रजस और तमस का करता है प्रतिनिधित्व

माता के हाथ में स्थित चक्र को समय और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक चिह्न माना जाता है। यह माता दुर्गा की अनंत शक्ति और सर्वत्र विद्यमानता को भी दर्शाता है। चक्र से माता सभी बाधाओं और शत्रुओं का नाश करती हैं, और भक्तों को कृतार्थ करती हैं। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु ने माता को दिया है।

माता के हाथ में स्थित चक्र समय और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक चिह्न

माता के हाथ में स्थित तलवार ज्ञान, तीव्र बुद्धि और धारदार सोच के प्रतीक चिह्न के रूप में देखी जाती है। यह भक्तों की अज्ञानता और अंधकार का अंत कर सत्य की राह पर उनको ले जाती है। मान्यताओं के अनुसार गणेश जी ने माता को तलवार दी थी।

मा के हाथ में तलवार ज्ञान, तीव्र बुद्धि और धारदार सोच का प्रतीक

पवन देव ने माता को धनुष और बाण दिए थे। ये आत्म-नियंत्रण और संतुलन का प्रतीक माने जाते हैं। धनुष और बाण से दुर्गा माता जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और सामंजस्य बिठाने की शक्ति देती हैं।

धनुष और बाण आत्म-नियंत्रण और संतुलन का प्रतीक

गदा शक्ति और अधिकार के प्रतीक के रुप में देखा जाता है। यह बुराई और दुष्ट शक्तियों को नष्ट करने के लिए माता दुर्गा की भौतिक और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाने वाला भी है।

गदा शक्ति और अधिकार का प्रतीक

माता के हाथ में स्थित शंख हमें पवित्रता और प्रारंभ का प्रतीक है। इसके माध्यम से देवी मां हमारे आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के शत्रुओं को पराजित करने की हमें शक्ति देती हैं। शंख के जरिये हमें ये संदेश भी मिलता है कि हम धर्म के मार्ग पर अग्रसर हों।

माता के हाथ में शंख पवित्रता और प्रारंभ का प्रतीक

कमल आध्यात्मिक जागरूकता और आत्म-शुद्धि का प्रतीक है। यह इस बात का प्रतीक है कि संसार के सभी भौतिक बंधनों से ऊपर उठकर भी मनुष्य आध्यात्मिकता को प्राप्त कर सकता है।

कमल आध्यात्मिक जागरूकता और आत्म-शुद्धि का प्रतीक