मिट्टी के बर्तन में मौजूद मैग्नीशियम-कैल्शियम मिनरल्स पानी में घूलते हैं, इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बना रहता है। पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा होने की वजह से गले को नुकसान नहीं पहुंचाता। शरीर का तापमान भी मैंटेन रहता है।
मिट्टी के बर्तन में रखा पानी ज्यादा सुरक्षित
मिट्टी के बर्तन में पानी को रखना, प्लास्टिक की बोतल में पानी रखने की तुलना में ज्यादा सुरक्षित रहता है। मिट्टी का मटका, पकने के बाद सभी प्रकार के जीवाणुओं से मुक्त हो जाता है, जबकि प्लास्टिक में टॉक्सिन्स होता है, जिससे नुकसान होता है।
थ्रोट इंफेक्शन की संभावना कम
जानकारों के मुताबिक, फ्रिज का पानी तेजी से ठंडा होता है, इससे गले में सूजन, कोल्ड या थ्रोट इंफेक्शन की संभावना सर्वाधित होती है। इसकी तुलना में मटके का पानी 20-25 प्रतिशत तक ही ठंडा होता है, जो शरीर के तापमान के बराबर ही होता है।
पाचन की प्रक्रिया धीमा
फ्रिज का पानी पाचन की प्रक्रिया को धीमा करता है, जबकि मटके का पानी प्रक्रिया सामान्य रखता है। इससे पाचन प्रक्रिया भी दुरुस्त रहती है। यह पानी त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। यह पानी शरीर को डिटॉक्स करता है और हीट स्ट्रोक से भी बचाता है।
त्वचा के लिए भी फायदेमंद
अगर आप मिट्टी के घड़े या मटके के पानी का सेवन करते हैं, तो यह गले में खराश जैसी परेशानियों को नहीं होने देता है। वहीं, इसके मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व भी शरीर को प्राप्त होते हैं। मटके का पानी सर्द-गर्म की वजह से होने वाली समस्याओं को भी दूर कर सकता है।
नहीं होती गैस्ट्रिक और एसिडिटी की समस्या
मिट्टी में क्षारीय गुण होते हैं जो गैस्ट्रिक और एसिडिटी की समस्या को दूर रखने में मददगार हैं। अगर आप पेट संबंधी परेशानियों को दूर रखना चाहते हैं तो मटके का पानी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें अल्काइन गुण पाए जाते हैं।