पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन सुभद्रा को नगर दिखाने के लिए रथ पर बैठाया था और तभी से हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है|
नंदीघोष पर विराजते हैं भगवान जगन्नाथ
भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष है, जिसे बनाने में कारीगर लकड़ी के 832 टुकड़ों का उपयोग करते हैं| इस रथ की ऊंचाई 45 फीट और लंबाई 34 फीट होती है|
दर्पदलन रथ पर विराजती है देवी सुभद्रा
भगवान श्रीकृष्ण की बहन देवी सुभद्रा के रथ का नाम दर्पदलन है| इस रथ को बनाने में 593 लकड़ी के टुकड़ों का उपयोग होता है| इस रथ की लंबाई 31 फीट और ऊंचाई 43 फीट होती है|
तालध्वज रथ पर विराजते हैं बलभद्र
बलभद्र जी के रथ को तालध्वज कहा जाता है, जिसे बनाने में 763 लकड़ी के टुकड़े इस्तेमाल होते हैं| इस रथ की ऊंचाई 44 फीट और लंबाई 33 फीट होती है|
इस तरह तैयार होता है रथ
रथ निर्माण के लिए लकड़ी दसपल्ला के जंगलों से लाई जाती है| केवल नीम और नारियल के विशेष पेड़ों को ही अनुमति मिलने पर काटा जाता है|