इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने इनकम टैक्‍स र‍िटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर (ITR) दाखिल करने की आख‍िरी तारीख को बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 की रात 12:00 बजे तक तय किया था.
यदि कोई टैक्सपेयर्स इस डेडलाइन तक रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएं हैं तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसे टैक्सपेयर्स लेट फीस के साथ बिलेटेड आईटीआर (Belated ITR) भर सकते हैं.
कोई टैक्सपेयर्स जब तय समयसीमा यानी ड्यू डेट के बाद आईटीआर दाखिल करता है तो उसे Belated ITR कहा जाता है. इसे आयकर अधिनियम की धारा 139(4) के तहत दाखिल किया जाता है.
फाइनेंश‍ियल ईयर 2024-25 और असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए करदाता 31 दिसंबर 2025 तक Belated ITR फाइल कर सकते हैं. यदि कोई टैक्सपेयर बिलेटेड आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि तक रिटर्न दाखिल नहीं कर पाता है तो उसके पास सिर्फ एक ही ऑप्‍शन बचता है ज‍िसे अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) कहा जाता है. हालांकि इसके लिए एक्‍सट्रा चार्ज देना पड़ता है और कुछ शर्तें भी लागू होती हैं.
बिलेटेड आईटीआर दाखिल करने के लिए धारा 234F के तहत लेट फीस देनी होती है. जिन करदाता की इनकम 5 लाख रुपए से कम है, उन्हें 1000 रुपए लेट फीस देनी होगी.
5 लाख रुपए से ज्यादा सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर को 5000 रुपए की पेनल्टी देनी होती है. इतना ही नहीं आयकर अधिनियम की धारा 234ए के तहत टैक्सपेयर को टैक्स पर इंटरेस्ट भी देना होता है.
टैक्स का बकाया हो तो उस पर 1 प्रतिशत प्रति माह या उसके हिस्से के लिए ब्याज लगेगा, जितने माह आप देर करते हैं. करदाता बिलेटेड रिटर्न के जरिए रिफंड तो क्लेम कर सकते हैं, लेकिन टैक्स रीजीम नहीं बदल सकते.
हालांकि, हाउस प्रॉपर्टी का लॉस बिलेटेड रिटर्न में भी कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है. यदि आप 31 दिसंबर 2025 तक लेट फीस के साथ इनकम टैक्स रिटर्न नहीं दाखिल करते हैं तो आपके पास इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है.
ऐसी स्थिति में आपको पेनाल्टी, ब्याज समेत पूरी बकाया रकम का भुगतान करना होगा. आयकर विभाग आपके ऊपर पेनल्टी भी लगा सकता है.