अगले दिन अगस्त्य का अंतिम संस्कार होता हैं, अम्मा जी को बुलाते हैं। सुनाली अम्मा जी को विलचेयर में लेकर आती हैं और अम्मा जी रोने लगती हैं। सुनाली, गोविंद को बताती हैं कि अम्मा जी कल से चुप हैं और इन्होंने कुछ खाया भी नहीं हैं। अगस्त्य की आत्मा की शांति के लिए पथ रखा जाता हैं।