दिवाली के दिन कई घरों में शगुन के रूप में ताश और जुआ खेला जाता है.
वैसे तो जुआ खेलना अपराध है लेकिन दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन करने के बाद परिवार के साथ जुआ परम्परा मान खेला जाता है.
माना जाता है कि दिवाली की रात में जो जुआ में जीतता है, उसका भाग्य साल भर चमकता है, साथ ही यह शुभ संकेत होता है. अगर हार गए तो यह अशुभ संकेत है.
पौराणिक कथा के अनुसार, दिवाली के दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने जुआ खेला था जिसमे भगवान शिव को हार मिली थी.
जिसके बाद से हर साल दिवाली पर जुआ खेला जाता है. हालाँकि भगवान शिव और माता पार्वती द्वारा जुआ खेलने का किसी ग्रन्थ में वर्णन नहीं है.
खुशी और उत्साह के साथ दीपावली के पर जुआ खेलना किसी भी तरह से शुभ नहीं है. महाभारत काल में भी पांडव भी जुआ खेल सब हार गए थे.
धार्मिक दृष्टिकोण से दिवाली के दिन जुआ खेलने से माँ लक्ष्मी में नाराज हो जाती हैं. इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
जुआ खेलने से कभी भी किसी का भला नहीं हुआ है शिव जो को हार मिली, महाभारत काल में पांडव को हार मिली तो किसी इंसान का भला कैसे हो सकता है.