18 अक्टूबर कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जायेगा.
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंन्तरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पर साथ ही शाम में एक दीपक मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर जलाया जाता है.
इसे यम दीप या दीपदान कहा जाता है, माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार के असमय मृत्यु और दुर्भाग्य से बचाव होता है.
यम दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और परिवार की दीर्घायु, घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, हेम नामक राजा के यहां “हिमांशु” नाम के राजकुमार का जन्म हुआ, लेकिन विवाह के चार दिन बाद उसकी मृत्य निश्चित थी.
वैसा ही हुआ राजकुमार ने प्रेम विवाह किया, विवाह के चार दिन बाद मौत हो गयी. यमराज प्राण लेने आये लेकिन नवविवाहिता का रोना और चीखें सुन उनका दिल कांप उठा.
ऐसे में यमदूत ने यमराज से पूछा क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं हैं, जिसपर यमराज ने कहा, जो मनुष्य कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शाम में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीप जलाएगा उसकी अकाल मृत्यु टल जाएगी.
तबसे धनतेरस के दिन यम की पूजा और यम दीप जलाया जाता है. इस दिन चार कोनों वाला यम का दीपक निकालने की प्रथा है.