अक्षय तृतीया 2025 में 30 अप्रैल को मनाई जाएगी, छत्तीसगढ़ में इसे अक्ती त्यौहार के नाम से जाना जाता है.
घर में नए मटकी में पानी रखकर पितरों का आह्वान कर नदी तालाब में तर्पण करते है.
छत्तीसगढ़ में इस दिन गुड्डा-गुड़िया का नकली विवाह कर उत्सव मनाया जाता है.
बच्चियां मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया का विवाह कर पारंपरिक रस्में निभाती हैं.
अक्ती के जरिए बच्चियों को छोटी उम्र से ही शादी की रस्मों और घर-गृहस्थी के बारे में जानकारी दी जाती है.
गांव-गांव में पारंपरिक शादी की रस्मों को निभाकर सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखा जाता है.
ग्रामीण क्षेत्र में बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी गुड्डा-गुड़िया की शादी में गीत-संगीत और नाच-गाना करते हैं.
अक्ती त्यौहार पर बिना मुहूर्त के भी विवाह, सगाई और अन्य मंगल कार्य किए जाते हैं.
किसान इस दिन अपने खेतों में अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं.
अक्ती त्यौहार पर दान का भी विशेष महत्व होता है, लोग चावल, गेहूं और बाजरा दान करते हैं.