25 अक्टूबर से छठ पर्व शुरू हो रहा है छठ के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है. जिसे कदुआ भात भी कहा जाता है.
नहाय खाय के दिन व्रती सात्विक आहार ग्रहण कर खुद को पावन और पवित्र छठ पूजा के लिए तैयार करते हैं. यह शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण का चरण होता है.
'नहाय' का अर्थ है स्नान करना और 'खाय' का अर्थ है भोजन करना, नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं स्नान कर और शुद्ध भोजन कर शरीर और मन दोनों को पवित्र करती हैं.
नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं तालाब या नदी में स्नान करके कद्दू (लौकी ) की सब्जी और भात खाकर व्रत का संकल्प लेती है.
नहाय-खाय के दिन महिलाएं सूर्योदय से उठती है और फिर स्नान कर सूर्य देव अर्घ्य देती हैं. इसके बाद नए वस्त्र धारण कर सूर्य भगवान और छठी माता की पूजा करती हैं.
इसके बाद महिलाएं इस दिन कद्दू, लौकी की सब्जी, चने की दाल, चावल आदि बनाकर खाती है जो पूरी तरह सात्विक होता है.
नहाय-खाय का भोजन व्रती स्वयं अपने हाथों से बनाते हैं. इसे बनाने में शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है.
व्रत के लिए बनाया गया खाना पहले व्रती खाती है और उसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य खा सकते हैं.