छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगलों में चार का फल पाया जाता है, इसमें मौजूद औषधीय गुण और पोषक तत्व इसे बेहद मूल्यवान बनाते हैं.
चार-चिरौंजी के फल का स्वाद जितना मीठा होता है, उतने ही गहरे इसके औषधीय गुण ये फल शरीर की कमजोरी दूर करने में मददगार हैं.
बस्तर के जंगलों में पाए जाने वाले चार के पेड़ों से निकलने वाली चिरौंजी अब ग्रामीणों की कमाई का प्रमुख जरिया बन चुकी है.
प्राचीन समय में चिरौंजी को नमक के बदले व्यापार में इस्तेमाल किया जाता था यह बस्तर की पारंपरिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा रही है.
चिरौंजी के बीजों से निकाला गया तेल त्वचा और बालों की देखभाल के लिए बेहद असरदार माना जाता है, खासकर सर्दी के मौसम में.
चिरौंजी का पेस्ट लगाने से चेहरे पर चमक आती है, कील-मुंहासों जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है.
सर्दी-खांसी में घरेलू नुस्खे के रूप में चिरौंजी को दूध के साथ उबालकर पीने से इम्युनिटी तेज होती है और राहत मिलती है.
बस्तर के टाकरागुड़ा जैसे इलाकों में 80% जंगल चार के पेड़ों से भरे हैं जो इस क्षेत्र को देश का एक अनूठा चिरौंजी हब बनाते हैं.