आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में उन जगहों का जिक्र किया है, जहां जाना इंसान के लिए मौत से काम नहीं हो सकता है. तो आइए जानते है उन जगहों के बारे में...
चाणक्य के अनुसार जिस स्थान पर व्यक्ति को मान-सम्मान न मिले, वहां रहना आत्म-सम्मान को कमजोर करता है. ऐसी जगहों पर रहने से मानसिक तनाव और असफलता मिलती है.
यदि व्यक्ति ऐसे स्थान पर रहता है या बार-बार जाता है, जहां विद्या का सम्मान न हो और पढ़ाई-लिखाई को महत्व न दिया जाता हो, तो वहां रहना बेकार है.
चाणक्य के अनुसार जहां रोजगार के अवसर न हों और मेहनत करने के बावजूद काम का कोई नतीजा न मिले, वहां रहना बेकार है.
चाणक्य के मुताबिक, यदि आजीविका का साधन ही न हो तो व्यक्ति का भविष्य अंधरे में चला जाता है. इसलिए ऐसी जगह को जल्द से जल्द छोड़ दिया जाए.
चाणक्य के अनुसार यदि आप ऐसे स्थान पर रहेंगे, जहां आपका कोई जानने वाला ना हो, तो कठिन परिस्थिति में आपको मदद और सहारा नहीं मिल पाएगा. इससे व्यक्ति को अकेलापन और असुरक्षा का अनुभव होता है.
चाणक्य ने यह भी कहा है कि व्यक्ति को ऐसी जगह पर भी नहीं रहना चाहिए, जहां संस्कारों की कमी हो. ऐसे स्थान रहकर व्यक्ति स्वयं भी गलत आदतों और नकारात्मक व्यवहार को अपना सकता है.
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में साफ कहा है कि व्यक्ति को हमेशा ऐसी जगह चुननी चाहिए, जहां जीवनयापन और प्रगति के साधन उपलब्ध हों.