चाणक्य के मुताबिक, कई औरतों में झूठ बोलने की आदत स्वाभाविक होती है, चाहे बात छोटी ही क्यों न हो.
बिना सोचे-समझे कोई भी काम शुरू कर देना भी महिलाओं की एक आम आदत बताई गई है.
अपनी ताकत का अंदाजा लगाए बिना ज़्यादा साहसी बनना, चाणक्य के अनुसार दुस्साहस है.
छल-कपट यानी चालाकी और धोखे से काम लेना भी एक दोष माना गया है.
मूर्खतापूर्ण फैसले लेना यानी बिना लॉजिक के काम करना भी इन दोषों में शामिल है.
लालच करना यानी हर चीज़ में अपना फायदा देखना भी चाणक्य ने स्वभाविक कमी बताई है.
शुद्धता का ध्यान न रखना यानी खुद को और आस-पास को साफ़ न रखना, ये भी एक बड़ी कमी मानी गई है.
चाणक्य कहते हैं कि हर स्त्री में ये दोष नहीं होते, पर ज़्यादातर में इनमें से कुछ ज़रूर पाए जाते हैं.