ऑफिस में तरक्की और तारीफ पानी है तो आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी पूरी तरह प्रासंगिक और उपयोगी हैं.
लीडरशिप का मतलब सिर्फ मेहनत करना नहीं, बल्कि समझदारी और रणनीति के साथ सही समय पर सही बात कहना भी जरूरी है.
चाणक्य के अनुसार, किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसकी योजना बनाना सफलता की पहली सीढ़ी है.
ऑफिस में प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले यह जरूर सोचें कि इससे क्या परिणाम निकलेगा और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है.
चाणक्य मानते थे कि अनावश्यक बोलने से बचना और ज़रूरत पर ही बोलना बुद्धिमानी है यह ऑफिस पॉलिटिक्स में भी कारगर है.
चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह विष को दूध में मिलाकर भी ज़हर ही रहता है, उसी तरह नकारात्मक लोगों से दूरी बनाए रखना चाहिए.
चाणक्य नीति में कहा गया है कि किसी भी सफलता के पीछे अनुशासन और समय का पालन अहम भूमिका निभाता है.
सफल कर्मचारी वह है जो सिर्फ खुद की तरक्की नहीं, बल्कि टीम को साथ लेकर चलता है यही असली लीडरशिप है.
अगर आप ऑफिस में असफलताओं से डरने के बजाय उनसे सीखना शुरू कर दें, तो सफलता खुद आपके कदम चूमेगी.