आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में रिश्तों की परीक्षा लेने का सही समय बताया है.
उनके अनुसार पत्नी की असली परीक्षा तब होती है जब पति पर संकट आता है.
अगर पत्नी संकट में भी आपका साथ दे, तो वह सच्ची और आदर्श पत्नी है.
चाणक्य ने कहा, बुरे समय में पत्नी का साथ मिलना सौभाग्य की निशानी है.
नौकर की परीक्षा तब लें जब उसे नौकरी से हटाया जाए.
रिश्तेदारों की पहचान मुश्किल समय में ही होती है.
दोस्ती की असल परख भी संकट के समय होती है.
चाणक्य का मानना है कि बार-बार नहीं, सही समय पर रिश्तों को परखना चाहिए.