आचार्य चाणक्य ने प्रेम जैसे भावनात्मक रिश्तों में भी व्यवहारिकता और सतर्कता को जरूरी बताया है.
फीलिंग्स पर कंट्रोल जरूरी प्यार में बहने की बजाय पहले सामने वाले के व्यक्तित्व और ईमानदारी को समझें.
कोई कितना सच्चा है, यह उसके बोल से नहीं, कामों से पता चलता है.
भावनाओं के साथ-साथ व्यावहारिक नजरिया रखना भी जरूरी है.
अगर कोई झूठ बार-बार बोले या बातों में टाल-मटोल करे तो सतर्क हो जाएं.
कोई रिश्ता अगर आत्मसम्मान छीनने लगे तो वक्त रहते उससे दूर हो जाना बेहतर है.
रिश्ते की सच्चाई को नजरअंदाज करने से दर्द और बढ़ सकता है.
किसी के झूठ या गलत व्यवहार को नजरअंदाज न करें, वो आगे चलकर धोखा बन सकता है.
कोई भी फैसला भावनाओं में बहकर न लें, सोच-समझकर ही कदम बढ़ाएं.
हर रिश्ते में सतर्कता जरूरी प्यार हो या दोस्ती, हर रिश्ते में समझदारी और सतर्कता ही उसे टिकाऊ बनाती है.