चाणक्य कहते हैं कि ऐसा धन जो दूसरों को हानि पहुंचाकर या धर्म के विरुद्ध कार्य करके अर्जित किया जाए, वह टिकता नहीं है.
पैसा हमेशा मेहनत और सही उपायों से इकठ्ठा करना चाहिए. अन्याय या गलत तरीकों से कमाया गया धन विनाश का कारण बनता है.
जहां ज्ञानी व्यक्तियों का सम्मान होता है, वहां धन की कमी नहीं होती. चाणक्य मानते थे कि मूर्खों की पूजा नहीं बल्कि विद्वानों का सम्मान होना चाहिए.
अन्न का सम्मान करने वालों के घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. अन्न का अपमान करने वाले घरों में सुख-समृद्धि नहीं टिकती.
पति-पत्नी के बीच प्रेम होने से घर में लक्ष्मी का वास होता है. हमेशा झगड़ा करने वाले दंपतियों के घर धन नहीं टिकता.
जहां गलत कम में पैसा खर्च होता है, वहां पैसे की कमी बनी रहती है. सही कम में पैसा खर्च करने से सुख और समृद्धि आती है.
धन इकठ्ठा न करने वाले परिवारों में क्लेश बना रहता है. खर्च के साथ-साथ बचत भी आवश्यक है.
सही नीतियों से कमाया गया धन ही स्थायी होता है. धर्म और नीति के मार्ग पर चलकर ही जीवन में आर्थिक स्थिरता पाई जा सकती है.