चाणक्य के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा सबक है दूसरों की गलतियों से सीखना. खुद हर गलती दोहराने पर उम्र कम पड़ जाएगी.
असली सफलता वही है जो दूसरों को भी प्रेरित करे. ऐसा व्यक्ति लक्ष्मी जी का प्रिय होता है.
जिस तरह सांप, बकरी और बाघ दोस्त नहीं हो सकते, वैसे ही विपरीत स्वभाव के लोगों से दूरी रखनी चाहिए.
चाणक्य के अनुसार विद्या उस कामधेनु जैसी है जो हर मौसम में अमृत देती है, इसलिए ज्ञान कभी भी, कहीं से भी ग्रहण करना चाहिए.
राजा सिर्फ अपने राज्य में पूज्य होता है, लेकिन विद्वान सर्वत्र पूज्य होते हैं. ज्ञान हर जगह सम्मान दिलाता है.
ऐसा धन किसी काम का नहीं जिसके लिए धर्म का त्याग करना पड़े. धर्म हमेशा धन से ऊपर है.
वह धन व्यर्थ है जिसके लिए दुश्मनों की खुशामद करनी पड़े और अपने आत्म-सम्मान से समझौता करना पड़े.
दूसरों की कामयाबी से जलने वाला न स्वयं खुश रह सकता है और न ही लक्ष्य हासिल कर सकता है.
चाणक्य कहते हैं कि दोस्ती हमेशा समान प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति से करनी चाहिए, नहीं तो संबंध टिकते नहीं.