आचार्य चाणक्य ने जीवन में रिश्तों की अहमियत को सर्वोपरि बताया है.
उनका मानना था कि जो व्यक्ति दूसरों के रिश्तों की कद्र नहीं करता, वह सच्चा साथी नहीं हो सकता.
ऐसे लोगों के साथ समय बिताना आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकता है.
चाणक्य के अनुसार, रिश्ते तभी टिकते हैं जब दोनों पक्ष उन्हें बराबरी से निभाएं.
आज के समय में कई लोग अपने रिश्तों को महत्व देते हैं, दूसरों के नहीं.
ऐसे स्वार्थी रवैये से रिश्तों में एकतरफा बोझ बढ़ता है.
सम्मान के बिना कोई भी संबंध लंबे समय तक नहीं चल सकता.
आत्मसम्मान की रक्षा के लिए कभी-कभी अकेलापन भी बेहतर विकल्प होता है.