अचार्य चाणक्य का मानना है कि इंसान अक्सर जवानी में कुछ ऐसी गलतियां कर देता है जिससे उससे जीवन भर पछताना पड़ता है.
युवावस्था में लोग अक्सर अपनी ताकत, रूप या पैसों पर घमंड करने लगते हैं, जो कभी भी स्थायी नहीं होता, हमेशा गिरावट होती है.
गलत संगत जीवन को खराब कर सकती है, जैसे दूध में नींबू गिरते ही दही बन जाता है, वैसे ही बुरी संगत अच्छे इंसान को भी बिगाड़ सकती है.
इस उम्र में समय की कीमत सबसे अधिक होती है. अगर समय को ग़लत आदतों में बर्बाद किया, तो भविष्य में पछताना पड़ता है.
गुस्से, प्यार या दुख में बिना सोचे-समझे फैसले लेना, बाद में पछतावे का कारण बनता है, भावनाएं जरूरी हैं, लेकिन विवेक का साथ होना जरूरी है.
भाग्य तभी साथ देता है जब मेहनत की जाए, भाग्य उन ही का साथ देता है जो अपनी मेहनत से काम करते हैं.
अनुशासन ही सफलता की कुंजी है. बिना अनुशासन के कोई भी व्यक्ति अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता.
आज में जीना जरूरी है, लेकिन भविष्य के लिए योजना बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.