आचार्य चाणक्य का मानना है कि कुछ गुण इन्सान को पूरी तरह बर्बाद कर सकता है.
चाणक्य के अनुसार अहंकार, वासना और लालच तीन प्रमुख अवगुण हैं
अहंकारी व्यक्ति को सही और गलत में फर्क करना बंद हो जाता है, वो खुद को ही सर्वोच्च मानने लगता है.
वासना में डूबा हुआ व्यक्ति अपने विवेक को खो देता है और हर निर्णय भावना में बहकर लेता है.
लालची व्यक्ति हमेशा दूसरों की संपत्ति को पाने की तरकीबों में लगा रहता है, जिससे उसका नैतिक पतन होता है.
इन तीनों दोषों के कारण व्यक्ति जीवन में स्थिरता, सम्मान और आत्म-संतोष खो देता है.
चाणक्य कहते हैं कि जो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं रख पाता, वह कभी भी बुद्धिमान नहीं बन सकता.
धर्म के मार्ग पर चलना और ज्ञान की तलाश में रहना ही इंसान को इन दोषों से दूर रख सकता है.
हर व्यक्ति को अपने जीवन में विनम्रता, संयम और संतोष जैसे गुणों को अपनाना चाहिए.