चाणक्य के अनुसार दोपहर में सोने वाले लोग काम में सुस्त होते हैं. ये समय बर्बादी और करियर डुबाने वाली आदत है.
गैस, अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं दोपहर में अधिक देर तक सोने से बढ़ जाती हैं,
दोपहर में सोने से उम्र घटती है, क्योंकि नींद के दौरान इंसान की सांसें तेज चलती हैं.
दोपहर की नींद शरीर में ऊर्जा घटा देती है, जिससे पूरे दिन आलस्य और सुस्ती छा जाती है.
जो लोग दिन में सोते हैं, उनमें आत्म-अनुशासन की भावना कमजोर हो जाती है, जिससे उनके कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.
दिन का हर पल कीमती है और उसे सोने में बर्बाद करना जीवन के लक्ष्य से भटकने जैसा है.
चाणक्य के अनुसार सिर्फ बीमार, गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों को ही दोपहर में सोने की अनुमति है.
दोपहर में 2–3 घंटे की नींद लेने से रात की नींद प्रभावित होती है, जिससे शरीर का बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ जाता है.