आचार्य चाणक्य ने एक सच्चे लीडर की पहचान बताई है.
सच्चा लीडर कभी भी जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेता. चाणक्य कहते हैं कि धैर्य और संयम वह मूल गुण हैं जो कठिन समय में भी लीडर को मजबूत करते हैं.
सफल नायक को हर समय सतर्क रहना चाहिए. किसी भी निर्णय या स्थिति में ढिलाई खतरे को आमंत्रण दे सकती है.
एक अच्छा नायक वह है जो अपने दल के सदस्यों की बातों को ध्यान से सुनता है.
जो नेता भविष्य की चुनौतियों को पहले भांप लेता है और उसी के अनुसार योजना बनाता है, वही सच्चा लीडर है.
नायक को अपनी इच्छाओं, भावनाओं और क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए. संयमित आचरण ही उसे दूसरों से अलग और श्रेष्ठ बनाता है.
नायक को पक्षपात से बचना चाहिए. न्याय और समानता की भावना से ही वह अपने अनुयायियों का विश्वास जीत सकता है.
जब नेतृत्व की बात आती है, तो कई बार कठिन फैसले लेना आवश्यक होता है. सच्चा नायक वही है जो राष्ट्र या संगठन के हित में कठोर लेकिन सही निर्णय ले सके.
एक महान नेता वही होता है जो व्यक्तिगत लाभ की बजाय, समाज और राष्ट्र के हित में कार्य करे.