आचार्य चाणक्य ने बुरे समय में इन बातों को ध्यान में रखने की बात कही है.
बुरे समय में व्यक्ति का सबसे बड़ा संबल उसका आत्मविश्वास होता है. खुद पर भरोसा बनाए रखता है तो वह कठिनाई से निकल सकता है.
संकट के समय अगर व्यक्ति अधीर हो जाए, तो वह गलत निर्णय ले सकता है. धैर्य रखने वाला व्यक्ति ही सही फैसला कर पाता है.
अच्छे समय में घमंड न करें और बुरे समय में विनम्र बने रहें. अहंकार संकट को और गहरा कर सकता है, जबकि विनम्रता मदद और समाधान का रास्ता खोलती है.
संकट के समय बीती गलतियों पर पछताने से बेहतर है कि व्यक्ति वर्तमान में समाधान ढूंढे.
चाणक्य नीति कहती है कि मुश्किल वक्त में बुद्धिमान और अनुभवी लोगों से सलाह अवश्य लेनी चाहिए.
संकट में व्यर्थ चिंता करने से बेहतर है कि अपनी पूरी ऊर्जा समाधान पर केंद्रित की जाए.
बड़ी समस्या को एक बार में सुलझाने की बजाय, उसे छोटे हिस्सों में बांटकर समाधान की दिशा में धीरे-धीरे बढ़ना बेहतर होता है.
संकट के समय अगर व्यक्ति अपने शब्द और विचारों पर नियंत्रण रखता है, तो वह मानसिक रूप से मजबूत बना रहता है.