क्या आपने कभी सुना है उल्टी चलती घड़ी के बारे में. अगर नहीं तो आपको छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मानिकपुर गांव के बारे में जानना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी समुदाय में उल्टा घड़ी को ब्रह्मांड की वास्तविक गति के अनुसार प्राकृतिक घड़ी माना जाता है.
इस घड़ी की सूइयां सामान्य घड़ी की तरह नहीं, बल्कि राइट से लेफ्ट यानी एंटी-क्लॉकवाइज दिशा में घूमती हैं.
आदिवासी मान्यता के अनुसार, ग्रह-नक्षत्र और सौर मंडल की गतिविधियां भी राइट से लेफ्ट दिशा में ही होती हैं.
खेती के पारंपरिक उपकरण जाता से लेकर मिंजाई तक सभी काम इसी उल्टी दिशा के अनुसार होते हैं.
गोंड आदिवासियों का कहना है कि इस घड़ी की दिशा में काम करने से ऊर्जा की खपत कम होती है और शरीर भी सहज रहता है.
उनका विश्वास है कि यह घड़ी उन्हें ब्रह्मांड के साथ तालमेल बैठाकर जीवन जीने का मार्ग दिखाती है.
इस गांव में शादियों में दूल्हा-दुल्हन पारंपरिक फेरों के विपरीत दिशा में यानी उलटे फेरे लेते हैं.