छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सदबाहरा गांव आधुनिकता की दौड़ में काफी पीछे छूट गया है. यहां आज भी लोग सदियों पुरानी मान्यताओं के साये में जीते हैं.
सदबाहरा गांव में महिलाओं के श्रृंगार पर पूरी तरह पाबंदी है, चाहे त्योहार हो या शादी का अवसर.
गांव में ऐसी मान्यता है कि अगर महिलाएं श्रृंगार करती हैं तो उनके साथ कोई न कोई अनहोनी जरूर होती है.
लकड़ी से बनी वस्तुएं जैसे खाट, कुर्सी, चौकी आदि पर बैठना यहां की महिलाओं के लिए पूरी तरह वर्जित है.
ग्रामीणों का कहना है कि 1960 में परंपरा तोड़ने पर गांव में बीमारी और मौतों का सिलसिला शुरू हो गया था.
गांव के पास की पहाड़ी पर मानी जाती है कारीपठ देवी की उपस्थिति, जिनके प्रकोप के डर से परंपरा निभाई जाती है.
समाजसेवी और जागरूकता अभियान भी यहां की सोच बदलने में असफल रहे हैं, लोग देवी के कोप से भयभीत हैं.
सदबाहरा की इस विचित्र परंपरा की चर्चा अब आस-पास के गांवों तक फैल चुकी है, और लोग इसे लेकर बेहद सतर्क रहते हैं.