मुगल बादशाह औरंगजेब हमेशा से ही विवादों में रहा है, खासकर कब्र को लेकर.
औरंगजेब का पूरा नाम अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब है.
औरंगज़ेब का जन्म साल 1618 में और मृत्यु 3 मार्च, 1707 को दक्षिण भारत के अहमदनगर में हुई थी.
लेकिन मुगल बादशाह औरंगजेब का कब्र औरंगाबाद से 25 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद में बनवाया गया.
ऐसा इसलिए क्युकी औरंगज़ेब चाहते थे मौत के बाद उन्हें अपने गुरु सैयद जैनुद्दीन की कब्र के पास ही दफनाया जाए.
औरंगज़ेब को पढ़ने का शौक था वो जैनुद्दीन की ही तरह पढ़ना चाहते थे. उन्हें अपना पीर मानते थे.
औरंगज़ेब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनका मकबरा बिल्कुल साधारण हो जिसे बनाने में ज्यादा पैसे न खर्च किया जाए. जितना पैसा उन्होंने अपनी मेहनत से कमाया है वहीँ खर्च हो.
उन्होंने वसीयत में लिखा था उनकी क़ब्र पर सब्ज़े(तुलसी ) का छोटा पौधा लगाया जाये और मकबरे की छत न हो.
उनके मकबरे को कच्ची मिट्टी से तैयार किया गया था बाद में 1904-05 में लॉर्ड कर्जन ने इसपर मार्बल चढ़वा दिया था.
मक़बरे के इर्द-गिर्द संगमरमर की ग्रिल बनवाई और इसकी सज़ावट कराई गयी.
मकबरे की संरचना इस्लामिक वास्तुकला के द्वारा बनाई गई है जो मकबरे का रंग का है और इसकी संरचना बेहद साधारण है.
मकबरे की दीवारों पर औरंगजेब के बारे में कुछ जानकारी दी गई है.
औरंगजेब के मकबरे के पास ही उनके बेटे आजम शाह का मकबरा है. शेख जैनुद्दीन दरगाह भी इसके करीब ही स्थित है.
उन्होंने वसीयत में ये भी लिखा था कि उनकी मौत पर कोई पछतावा न किया जाए और न ही किसी भी तरह का समारोह आयोजित किया जाए.