क्योंकि घरेलू हिंसा, मारपीट के निशान इंसान के शरीर पर दिखते हैं और समाज को यह नजर भी आता है, लेकिन जो अधिक इस वक्त पाखी के साथ कर रहा है उसका कोई सबूत कोई सुराग नहीं रह जाता है। ऐसे में इस प्रॉब्लम को सॉल्व करना घरेलू हिंसा वाली प्रॉब्लम से भी ज्यादा मुश्किल है।