अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म में खास महत्व है.
इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था, इसलिए उनकी पूजा होती है.
राजा भागीरथ की तपस्या से मां गंगा इसी दिन धरती पर आई थीं, इसलिए गंगा स्नान को बेहद पवित्र माना जाता है.
खाना देने वाली देवी अन्नपूर्णा का भी इसी दिन जन्म हुआ था, इसलिए गरीबों को भोजन कराने और भंडारे करने की परंपरा है।
महर्षि वेदव्यास ने अक्षय तृतीया से ही महाभारत लिखना शुरू किया था, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता भी शामिल है.
बंगाल में व्यापारी गणेश-लक्ष्मी की पूजा कर इस दिन से नया खाता खोलते हैं, इसे वहां 'हलखता' कहा जाता है.
इसी दिन भगवान शंकर ने कुबेर को माता लक्ष्मी की पूजा करने को कहा था, तभी से यह परंपरा शुरू हुई.
पांडवों को अक्षय पात्र भी इसी दिन मिला था, जिसमें कभी भी भोजन खत्म नहीं होता था.
इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है और घर में बरकत बनी रहती है.