Airtel और Reliance Jio ने Starlink के साथ डील का ऐलान कर दिया है, जो एक सेटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है.
Airtel ने जहां मंगलवार को बताया कि Elon Musk की कंपनी SpaceX के साथ पार्टनरशिप कर ली है. जो Starlink के लिए है.
वहीं बुधवार सुबह Reliance Jio ने भी Starlink के साथ की गई डील की जानकारी दी. हालांकि अभी SpaceX को भारतीय अथॉरिटीज से लाइसेंस लेना बाकी है.
भारत में SpaceX की सर्विस शुरू हो सकेंगी. यहां आज आपको बताने जा रहे हैं कि Starlink क्या है, कैसे काम करता है और भारत में इसको कैसे फायदा मिलेगा.
Starlink, एक सेटेलाइट बेस्ड हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है, जिसे खुद Elon Musk की कंपनी SpaceX ने डेवलप किया है. इसके लिए मोबाइल टावर लगाने की जरूरत नहीं होती है.
Starlink दुनिया भर में हाई-स्पीड इंटरनेट प्रोवाइड कराना चाहती है, खासकर उन इलाकों में जहां वायर ब्रॉडबैंड उपलब्ध नहीं है.
Starlink के काम करने के तरीके को देखें तो ये भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर कर सकता है. इसका फायदा रूरल और रिमोट एरियों में देखने में मिलेगा.
भारत में अभी भी बहुत से गांव और पहाड़ी इलाके हैं, जहां फाइबर इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है, ऐसे में Starlink से उनको फायदा हो सकता है.
रिमोट एरियों में मौजूद स्कूल और अस्पतालों को इससे काफी फायदा देखने को मिलेगा. यह 20-40 ms की लो-लेटेंसी प्रोवाइड कराता है, जिसका फायदा गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और ऑनलाइन एजुकेशन को होगा.
Starlink के लिए हजारों लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सेटेलाइट होते हैं, जो धरती से लगभग 550 किमी ऊपर होते हैं. ये सेटेलाइट लेजर लिंक की मदद से एक दूसरे से कनेक्ट होते हैं और डेटा को तेजी से ट्रांसमिट करते हैं.
भारत में कई इलाके ऐसे हैं, जहां अक्सर प्राकृतिक आपदा की वजह से काफी परेशानी हो जाती हैं. ये आपदाएं बाढ़, भूकंप, या चक्रवात जैसी रूप में आती हैं, ऐसे इलाकों में अक्सर इंटरनेट कनेक्टिविटी टूट जाती है. Starlink काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
भारतीय प्लान और हार्डवेयर की कीमत का ऐलान नहीं किया है, लेकिन अमेरिका में बुकिंग करने के बाद हार्डवेयर के लिए 499 अमेरिकी डॉलर का चार्ज देना होता है,
जिसे भारतीय करेंसी में कंवर्ट करेंगे तो यह 43 हजार रुपये है. वहीं मंथली सब्सक्रिप्शन 110 अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय करेंसी में करीब 9 हजार रुपये होगी
बता दें कि भारी बारिश, बर्भबारी की वजह से सिग्नल प्रभावित हो सकते हैं. इसकी वजह से कनेक्टिविटी की समस्या आ सकती है. एक ही लोकेशन पर बहुत ज्यादा यूजर्स होने पर इंटरनेट स्पीड भी स्लो हो सकता है.
Starlink की सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए एक छोटी डिश लगानी होती है, जिसे Starlink टर्मिनल भी कहते हैं. इसको कस्टमर को घर पर सेटअप कराना पड़ता है.
यह डिश आसमान में मौजूद सेटेलाइट से सिग्नल रिसीव करता है और सेंड करता है. इसके बाद यह डिश WiFi राउटर से कनेक्ट होती है, जो घर के अंदर लगा होता है, उस राउटर से इंटरनेट का एक्सेस मिलता है.
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