Begin typing your search above and press return to search.

देखें वीडियो: ”मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला”…पकड़े जाने पर भी न गई गैंगस्टर की दबंगई, महाकाल मंदिर में वीआईपी दर्शन की कटवाई थी पर्ची

देखें वीडियो: ”मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला”…पकड़े जाने पर भी न गई गैंगस्टर की दबंगई, महाकाल मंदिर में वीआईपी दर्शन की कटवाई थी पर्ची
X
By NPG News

भोपाल 9 जुलाई 2020। कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी विकास दुबे आखिरकार पुलिस के गिरफ्त में आ गया है। एनकाउंटर के सातवें दिन विकास को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया। बताया जा रहा है विकास दुबे ने खुद ही स्थानीय मीडिया और पुलिस के सामने सरेंडर किया। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भी विकास पर कोई असर नहीं दिखा और मीडिया के सामने चिल्लाया- मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। उसके इतना बोलते ही हेकड़ी कम करने के लिए पीछे खड़े एक पुलिसवाले ने उसे एक थप्पड़ मारा।

एक दिन पहले ही यह खबरें आई थीं कि वह फरीदाबाद के एक होटल में कमरा लेकर रुका था। इसके सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे, लेकिन इसके बाद गुरुवार सुबह वह उज्जैन पहुंचा और सरेंडर के इरादे से ही वह महाकाल मंदिर में गया। उज्जैन पुलिस के सूत्रों ने बताया कि विकास दुबे यूपी पुलिस के एनकाउंटर से बचने के लिए उज्जैन आया था।

चेहरे पर नहीं दिखा खौफ
पुलिसवाले ने उसे पीछे से थप्पड़ मारा तो आगे खड़े एक पुलिसवाले को विकास दुबे ने गुस्से में आंखे दिखाईं। विकास को देखकर नहीं लग रहा था कि उसे गिरफ्तार होने का या फिर कानून का कोई खौफ नहीं है।

ऐसे पकड़ा गया विकास
महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष ने बताया कि एनकाउंटर के डर से विकास दुबे खुद से सरेंडर करना चाहता था। मंदिर परिसर में पहुंचने के बाद विकास दुबे चिल्ला चिल्लाकर कहने लगा कि वह ही विकास दुबे है। उसने महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मियों से कहने लगा कि पुलिस को सूचना दी जाए। उसके बाद महाकाल मंदिर के पुलिस चौकी को सूचना दी गई। यह पूरा प्रकरण करीब 9 बजे के आसपास हुआ। विकास दुबे ने 250 रुपये की रसीद कटवाकर मंदिर में दाखिल हुआ था।

इसके बाद वह प्रसाद की एक दुकान पर पहुंचा और कहा कि वह अपना बैग रखना चाहता है। बैग रखने के बाद वह महाकाल मंदिर के नई टनल वाले एक नंबर गेट से पर्ची दिखाकर दाखिल हुआ। अंदर जाने के दौरान एक सिक्योरिटी गार्ड को शक हुआ। उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज देखे। तब तक विकास महाकाल के दर्शन कर चुका था। पुलिस उसकी लोकेशन देखकर मंदिर के अंदर दाखिल हुई और उसे हिरासत में ले लिया।

दो घंटे पूछताछ के बाद पुलिस को यकीन हुआ
जब पुलिस उसे बाहर लेकर आ रही थी तो उसने चिल्लाकर बोला- मैं ही विकास दुबे हूं। कानपुर वाला। इसके बाद पुलिस उसे गाड़ी में बैठाकर थाने ले गई। उज्जैन पुलिस ने विकास दुबे से करीब 2 घंटे तक पूछताछ की। पुलिस पूरी तरह से यह कन्फर्म कर लेना चाहती थी कि इतनी आसानी से गिरफ्त में आया आदमी विकास दुबे ही है। जब पुलिस को यकीन हो गया तो सुबह 10 बजे के करीब खबरें आईं कि विकास दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया है। इसी के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान आया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्वीट किया।

कैसे उज्जैन पहुंचा विकास दुबे?

बता दें कि विकास दुबे कानपुर की घटना के बाद भाग गया था, जिसके बाद हरियाणा के फरीदाबाद में उसकी झलक दिखी थी। फरीदाबाद के एक होटल के CCTV कैमरे में विकास दुबे को देखा गया था, लेकिन वो वहां से फरार हो गया। छापे में उसके गुर्गे गिरफ्तार कर लिए गए थे।

विकास दुबे लगातार छुपता हुआ भाग रहा था, पहले उसके नोएडा और फिर राजस्थान जाने की बात की जा रही थी। ऐसे में पुलिस ने NCR में लगातार छापेमारी की थी। लेकिन विकास दुबे वहां पर भी नहीं मिला..अब सात दिन बाद उसके उज्जैन में मिलने की खबर आई।

सूत्रों की मानें तो फरीदाबाद से मध्य प्रदेश तक वो आसानी से एक गाड़ी में पहुंचा, जो पूरी तरह सेफ थी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इतनी बंदिशों के बाद भी विकास दुबे आखिर कैसे इतना लंबा सफर कर पाया. अब विकास दुबे को कोर्ट में पेश किया जाएगा, फिर उसकी ट्रांजिट की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।

खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि एमपी पुलिस जल्द ही विकास दुबे को उत्तर प्रदेश की पुलिस को सौंप देगी. शिवराज ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से बात भी की।

बता दें कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र में गुरुवार देर रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। जिसके बाद से पुलिस विकास को उत्तर प्रदेश से जुड़े सभी प्रदेशों में ढूंढ रही थी।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया था। कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास दुबे पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है।

Next Story