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मां के साथ गलियों में घूम कर बेचते थे चूड़ियां, परीक्षा के समय मिली थी पिता के निधन की खबर….पढ़िए गरीबी को हराकर IAS बनने तक कि कहानी…

मां के साथ गलियों में घूम कर बेचते थे चूड़ियां, परीक्षा के समय मिली थी पिता के निधन की खबर….पढ़िए गरीबी को हराकर IAS बनने तक कि कहानी…
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By NPG News

नई दिल्ली 21 अप्रैल 2021।
रमेश घोलप के चूड़ियां बेचने से लेकर IAS बनने तक का सफर बेहद ही प्रेरणादायक है। आज हम जिस सफल पर्सनैलिटी की यहां बात कर रहे हैं उनका जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के बरसी तालुका के महागांव में हुआ। गांव में रमेश घोलप को रामू नाम से भी जाना जाता है। रमेश घोलप के पिता गोरख घोलप साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे। 4 सदस्यों के इस परिवार का पालन-पोषण बड़ी ही मुश्किल से चलता था। हालांकि कुछ ही दिनों बाद उनके पिता की तबीयत खराब हो गई और व्यापार में काफी नुकसान होने लगा।

इसके बाद रमेश घोलप की मां विमल घोलप ने नजदीकी गांव में जाकर चूड़ियां बेचनी शुरू कर दी। इस दरम्यान रमेश घोलप के बाएं पैर को पोलियो ने निगल लिया। रमेश औऱ उनके भाई अपनी मां के साथ चूड़ियां बेचने जाया करते थे। महागांव में सिर्फ एक प्राथमिक स्कूल था। बाद में रमेश घोलप आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के साथ बर्शी चले गये। पढ़ाई के प्रति उनकी मेहनत ने स्कूल में उन्हें शिक्षकों का प्रिय बना दिया। साल 2005 में जब वो बारहवीं क्लास की परीक्षा दे रहे थे उसी समय उन्हें उनके पिता के निधन की खबर मिली थी। बाद में रमेश घोलप ने इस परीक्षा में 88.5 प्रतिशत अंक हासिल किये थे।

रमेश घोलप ने D.Ed (Diploma in Education) किया ताकि वो शिक्षक बन कर परिवार की आर्थिक मदद कर सकें। उन्होंने ओपन यूनिवर्सिटी से आर्टस विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री भी ली। साल 2009 में वो बतौर शिक्षक काम करने लगे। शिक्षक के तौर पर काम करने के दौरान रमेश घोलप को ऐसा लगा कि वो अपनी जिंदगी में इससे बेहतर कर सकते हैं। एक साक्षात्कार में रमेश घोलप ने कहा था कि जब 2010 में हम लोगों के पास रहने के लिए खुद का घर नहीं था, तब मैंने टीचर की सरकारी नौकरी से इस्तीफ़ा देकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया।
उस समय भी मां मेरे निर्णय के पीछे खड़ी रही। ‘हम लोगों का संघर्ष और कुछ दिन शुरू रहेगा, लेकिन तुम्हारा जो सपना है उसके लिए तू पढ़ाई कर’ यह कहकर मेरे ऊपर ‘विश्वास’ दिखाने वाली मेरी ‘आक्का’ (मां) पढ़ाई की दिनों में सबसी बड़ी प्रेरणा थी। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दिनों में जब भी पढ़ाई से ध्यान विचलित होता था, तब मुझे दूसरों के खेत में जाकर मजदूरी करने वाली मेरी मां याद आती थी। साल 2012 में रमेश घोलप ने यूपीएससी की परीक्षा में 287वीं रैंक हासिल की थी।

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